गन्नुभाई- " अबे काणा, ये तु कहाँ ले आया रे मेरे कु?"
रिठे काणा- " भाई बोले तो ये छुपनेका है न, सबसे बढियाँ जगह है!"
गन्नुभाई- " अबे कोकके पिचके हुवे कैन, ये तो कोइ देवदासकि उजडि हुइ खोलि लगरेलि है मेरे कु!"
रिठे काणा- " आप बिल्कुल सहि बोला भाई, ये बोले तो भगुतभाई के खोलि है भाई!"
गन्नुभाई- " ये कौन भाई पैदा होगेला है फिर?"
रिठे काणा- " भाई ये आप कि माफिक भाई नहिँ है, ये नाम वाला भाई है!"
गन्नुभाई- "तो?"
रिठे काणा- " ये कहिँ गायब होगेला है भाई!"
गन्नुभाई- " किधर कु गायब होगेला?"
रिठे काणा- " नहिँ मालुम भाई, दिवारपे चिपकेली पेन्टिङ देखकर अपुनको लगरेला है कि कोहि छोकरि वकरी के चक्करमे था भाई!"
गन्नुभाई- " मेरे कु भि वैसेइच लगरेलि है, पन दिवारपे सब अलग अलग छोकरिलोगका फोटु चिपकेला है, किसके साथमे टांका था रे इसका?"
रिठे काणा- " भाई मेरे कु लगता है वो बिचवालि फोटुकि बाईके साथ टाँका भिडरेला था उसका!"
गन्नुभाई- " काहे कु रे? तेरि मौसि थि क्या वो जो तु इतना फटाक से बोला?"
रिठे काणा- " नहिँ भाई, वो उसके साथमे जो दुसरि छोकरी है न भाई, अपुन उसको पेचानता है!"
गन्नुभाई- " कौन है वो?"
रिठे काणा- " भाई वो कोइ धोबन है भाई, उसका बोले तो अंधेरी पे दारुका अड्डा हुवा करता था भाई!"
गन्नुभाई- " तो?"
रिठे काणा- " तो भाई, वो बिर्खे सठियाकी गैंगमे एक दुसरा बुढउ है भाई, पुन्टे फटेला, यह छोकरी बोले तो पुन्टे फटेला कि आइटम है भाई!"
गन्नुभाई- " और वो दुसरि छोकरी?"
रिठे काणा- " भाई मेरे कु लगता है , वो दुसरि छोकरी जुर्ली बाई है उस धोबनकि बेहन! पुन्टे फटेला बोले तो छोकरीबाज है भाई, वो अपनि आइटमके साथ साथ उसकि बेहनपे भि इन्टरेस्ट दिया भाई!"
गन्नुभाई- " और भगुत भाई, जुर्लि बाईके साथ साथ पुन्टे फटेलाको भि खलास किया?"
रिठे काणा- " नक्को! भाई बोला न अपुन, भगुत भाई आपके टाइप का भाई नहिँ है!"
गन्नुभाई- " अबे भुतनी के, जब साला कोहि अपनि आइटमके साथ चुमाचाटु कररेला है तो दोनोको उडा देने का, इसमे भाईगिरि काहे कु चाहिए?"
रिठे काणा- " भाई वो बोले तो भगुतभाई और पुन्टे फटेलाका छतिसका आंकडा है भाई, अब्बि भगुतभाई बिर्खे सठियाकि गैंगसे आउट होगेला है! इसलिए अपुन आप कु इधर उसकि खोलीमे लाया भाई!"
गन्नुभाई- " तो?"
रिठे काणा- " अब्बि आप इधरिच छुपके बैठनेका भाई, रात जब भगुतभाई आएगा न भाई तो उसको अपुनकि गैंगमे लेनेका और सब से पहले पुनटे फटेलाकि सर फोडनेका! उसके बाद बिर्खे सठिया सचमुचमे सठिया जाएंगा!"
गन्नुभाई- " ठिक बोला तु! मेरे कु उसको उडानेका है, मेरे से पंगा लिया उसको जिने का नहिँ मांगता!"
रिठे काणा- " अरे भाई.....इ...इधर कोहि है भाई!"
गन्नुभाई- " कौन है?"
रिठे काणा -" भाई उधर कोप्चेमे कोहि छुपरेला है भाई!"
गन्नुभाई- " निकाल साणे को , देखेँ कौन है!......घोडा! घोडा पकडले जा उधर कोप्चेमे और दवोचके ला उसको!"
रिठे काणा- " अब्बि लो भाई!...................भाई! ये तो अपुनका दिप हठेला है भाई!!"
गन्नुभाई- " अ बे दिप हठेला! तु बिन पानीके पिचकारी इदरको क्या कररेला है? तु मेरेकु बोला था कि तु इस शहर छोडरेला है और दुबई जा रेला है!"
दीप हठेला- "भ...भ...भाई वो क्या है कि, अपुन सोचा कि ये भाईगिरीमा रखा क्या है, तो अपुन सबकुछ छोडछाडके जारेला था भाई, तो रस्तेमे भगुतभाई मिलगेला अपुनको! तो वो बोला कि, जब छोडके जानेको मांगता तो चुपचाप छोडनेका फिरसे आनेको आसान होंगा! वो चुपचापसे गायब होगेला था!"
गन्नुभाई- " अबे पानी लगे मोमबत्तिकि फटकार, तु उधरकि गैंगमे तो नहिँ गया क्या?"
दीप हठेला- " नहिँ भाई, वो बोले तो अपुन भगुतभाईको भि आपिचके गैंगमे लाया है भाई, अपुन दोनो आपसे मिलनेको आनेवाला था भाई, पन भाई वो अपुन सबके सामने साला बोलदिया था कि, अपुन जा रेला है, तो आनेको थोडि शरम लगि भाई मेरेकु, तो भगुत भाई बोला कि वो जुर्लिबाईके फोटु देखकर एक गजल लिखरेला है, वो खतम करनेके बादमे जानेका!"
गन्नुभाई- " अबे चुप कर्! जब जारहा है बोलदिया तो चला गया, अब आ रहा हुँ बोलके आ जा, उस भगुतभाईको भि लेकर् आ जल्दी! अब्बि अपुन देखेगा कि साला बिर्खै सठिया कैसे नहिँ सठियाएंगा!!