Posted by: serial May 27, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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इश्क मैं येह् अन्जाम पाया है
हाथ पैर तुते, मुह से खुन आया है
होस्पितल पौहंचे तो नुर्सो ने फर्माया
बहारो फूल बर्षाओ
किसी का मेह्बूब आया है
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