Posted by: Birkhe_Maila May 20, 2008
~ चौतारी ११६ ~
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गन्नु महात्म्य - सिन २ (बलिवुड स्टाइल) :पि :डि

 

सैरियल लंगडा- " काणाss! अरे वो काणा!"

रिठे काणा- "अबे लंगडा काहेकु चिख रिया है, तेरि नानि खलास होगइ क्या?"

सैरियल लंगडा- " नहिँ बाप, वो गन्नु भाई बुलाएला है, बोले तो लगता है भेजा सटकगेला है भाईका! अब्बि के अब्बि बुलाएला है!"

रिठे काणा- " अबे क्या बोलरेला है? अब्बि कुछ देर पहले साला गन्नु भाई बड्डेकि बात पर आलोकनाथके माफिक रोरेला था! अब काहेकु भेजा सटकेला है?"

सैरियल लंगडा- " अबे मेरेकु क्या मालुम, बोलरेला था कि काणाको ढुँढके लानेका , नहिँ मिला तो दुसरि आँख भि फोडफाडके पुरा अन्धा करदेनेका!"

रिठे काणा- " अबे तब तो चल रे जल्दि से, भाइका भेजा सचमुच सटकेला है तो अपुनकि सामत आगेलि लगति है!"

सैरियल लंगडा- " हाँ हाँ चल रे!"

(गन्नुभाईके पास जाते हैँ)

रिठे - " भाई आफ बुलाया मेरेकु?"

गन्नुभाई- " बुलाया नहिँ, तेरेकु पकडके बोरिपे डालके उठाके लानेको बोला!"

रिठे- " हे हे हे भाइ तुम भि ना जोक मारते हो!"

गन्नुभाई- " जोक लगा तेरेकु मेरि बात??? जोक लगा? ...अरे लंगडा सुनरिया है तु? इस बिना पैडिलके साइकिलको अपुनकि बात जोक लगरेलि है! हरामि साला, अपुनइचकि थालिमे खाकर अपुनइचको थुकता है भुतनि के! "

रिठे काणा- " भाई कुछ उल्टा सिधा होगेला है क्या मेरेसे?"

गन्नुभाई- " सिधा??? साला संडासके लोटे, तेरेसे कोइ काम सिधा होनेका है क्या? सब काम उल्टा करके मेरेकु पुछरेला है कि कुछ उल्टा सिधा होगेला कि नहिँ! टमाटरके आखिरि दाने, तेरेको अपुन क्या बोला परसोँ?

रिठे काणा- " क्...क्या बोला था भाई आप?"

गन्नुभाई- " साला भुतमहलके बुझति हुवि चराग, सला तेरेकु अब याद भि नहिँ है अपुन क्या बोला? साला सरकटि लाश, तेरेकु अपुन बोला था कि हर्के रंगिलाको उठाके लानेका! तु क्या किया रे उसके बाद??? साला कोइ बाइके यहाँ जाकर टेम वेस्ट किया तु?? अब्बि अपुन मालुम किएला है कि हरके रंगिला बिर्खेभाईके ग्याङमे चलागया है! और अपुन ए भि मालुम किएला है कि, हर्के रंगिला तेरा चचेरा भाई है! खन्डालाके गनपतराव तुम दोनोका नाना है न??? साला अपुन तेरेको पैसा दिया, इज्जत दिया! किचडमे पैदा हुवा सला तेरेकु अपुन रहनेका फिलैट दिया, साला तुम और  हर्के रंगिला मिलकर मेरेसे गद्दारी किया????? बोल कैसे मरनेको मांगता है तु????

रिठे काणा- (गले मे थुक अटकाकर बोलता है) " रहम गन्नु भाई रहम!"

गन्नुभाई- " गन्नुभाईके साथ पंगा, बहुsssत महंगा!" " लंगडा! इस किचडके किडेको पतलि गलिसे ले जा कर अन्धेरीके अन्धेरेमे खलास कर् और अपुनको दिल गुर्दा और दोनो आंख ला कर दे, तब्बि चैन मिलेंगा अपुनको!!"

सैरियल लंगडा- " तु ठन्डा हो जा भाई, अपुन सोचा था कि ये काणा अपुनका दोस्त है, भाई है, पन अपुनको आज मालुम पडा कि ये गद्दारी किया! अपुन इसको जरुर लुढकाएगा भाई, जैसा धरमिन्दर बोलता है वैसेइच कुत्तेकि मौत मारेंगा भाई, बस् तु चैन से बैठ!"

रिठे काणा- " लंगडा! ए तु क्या बोलरिया है?"

गन्नुभाई- " अब्बि के अब्बि अपुनके आंखके सामने से हटा इसको!"

सैरियल लंगडा- " अब्बि लो भाई! चल बोल काणा तेरेको आखिरि बार क्या करनेको मांगता?"

रिठे काणा- "र...र...र...रहम!"

 

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