Posted by: serial May 19, 2008
~ चौतारी ११६ ~
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उस्की याद ने मुझे फिर रुला दिया,

कैसे है वोह जालिम जिस्ने ए सिला दिया।

दो शब्द लिख्ने नही आते थे मुज्को,

और आज उस्की मोहबात ने मुझे शायर बना दिया।

 

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