Posted by: Birkhe_Maila May 13, 2008
~ चौतारी- ११५ ~
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इपिसोड - ३
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रिठे काणा (मोबाईल पे) - " हाँ...बोला न अपुन सबकुछ ठिक हो रेला है, तु काहे कु चिन्ता करती है??"...हाँ...नक्को...वँहिँचपे है..सात पेटी है, और उपर से दो पेटी और...सोच् तु और मै दुबइमे..अरे भाँडमे जाए गन्नुभाई! जब देखो कोसता रहता है मनहुस!..अपुन अब्बि खन्डाला रोडके ढाबे के पिछवाडे बनरेली इमारतके निचे खडेला है तु अब्बि के अब्बि इधर आ!"

(कुछ देर बाद)

रिठे काणा- " आ रे बसन्ती आ"

बसन्ती- " अरे तु ए क्या किया रे?? गन्नुभाईका सारा पैसा लेके भागनेकि सोचरेला है, तेरा दिमाग सठिया गया है क्या? तु ने नहिँ सोचा मेरेको क्या होंगा? माईको क्या होंगा?"

रिठे काणा- " अब्बि तेरि जुबानको बन्द रखनेका! अपुन सोचा हैन सबकुछ! अपुनके पास बोले तो झकास पिलान है! बस् तु ज्यास्ती मुह नक्को खोलनेका!"

बसन्ती - " मुह काहेको नक्को खोलनेका? हाँ? तु बोल रे मवाली काहेको मुह नक्को खोलनेका?? तु क्या किया रे अबतक मेरे खातिर?? तु क्या किया रे अब तक माइ के खातिर? साला आवारा फिरता रहता है सुब्बोसाम! सुबहको जाता है तो मै अगरबत्ति जलाके बैठति ताकि तु हरामि शामको जिन्दा लौँटे! तु कहता है कि ज्यास्ति मुह नक्को खोलनेका?"

रिठे काणा- "चुप कर रे , काहे कु सर आसमानपे बिठारेलि है तु??? मै काहे कु इतना सबकुछ किया रे? तेरेकु और माई कु खुस देखनेके वास्ते किया!गन्नुभाईका दाहिना है मै अब्बि, अब्बि लंगडा और रंगिलाको दबोचनेका और गन्नुभाईको देनेका है, बस्! उसके बाद पुरे नौ नौ पेटि अपुनका है रे! उसको कोइ खबर नहिँ है रे, सब अपुन धिरे धिरे जोडा है रे!"

बसन्ती- "काणे , मेरेको तु प्यार करता हैन?? माईको तु प्यार करता है न?? मै तेरा एकिच बहन है न?? तु मेरेको बोल, क्या तु बिर्खे भाईसे मिला हुवा है?? तु गन्नुभाईके साध गद्दारी किएला है???

रिठे काणा- " नक्को बसन्ति! अपुन कोइ गद्दारी वद्दारी नक्को किएला!वो साला लंगडा और रंगिला सयाने होगेले लगता है! बस गन्नुभाई अपुनको बोला कि, उन दो गद्दारको दबोचनेका और बस् उसके बाद सब चांदि हि चांदि है! तु सोचति बहुत है रे!"

(थोडि दुर पर इमारतके पिछवाडेसे- करिम और अब्दुल रिठेकाणाको देखरहे थे)

रिठे काणा (गाडिसे रुपएँ कि पेटि निकालता हुवा)- " ये देख रे बसन्ती, पुरे सात पेटि है, अपुनका है रे ये! ये गन्नुभाईका नहिँ है! हाँ अपुन छिपाके लाएला है पन अपुन बहुत किया गन्नुभाईके वास्ते,पन अपुनको भि कुछ होनेको मांगता न? वहिच किया अपुन! सात पेटिसे गन्नुभाईको कुछ नहिँ होने का, पन अपुनकि पनौती धुल जाएंगा!अपुन दुबई चलेंगा, तु अपुन और माई!

(अचानक करिम और अब्दुल घोडा ताने हुवे आगे आते हैँ)

करिम- " ना! ना! ना काणा ना!, ये पैसा गन्नुभाईका है! तु गन्नुभाईसे गद्दारि किया??? गन्नुभाई से? तेरे कु गन्नुभाई किचड से उठाया और तु गन्नुभाईका पैसा ले के इस छोकरीके साथ दुबई भागनेका पिलान कररिया है???

रिठे काणा- "करिम घोडा निचे कर्...अपुन कोइ गद्दारी नहिँ किएला है! बस कुछ पैसे छिपाके लाएला है! अपुन गन्नुभाई से कोइ गद्दारी नहिँ किएला है,बसन्ती कि कसम खाता है अपुन!"

करिम- "अब्दुल! भाईको फोन लगा!" ...." तो तु गद्दारी नहिँ किएला है?? तु बिर्खे भाईसे नहिँ मिला हुवा है? तो कौन किया रे गद्दारी?? लंगडा और रंगिला किया???"

रिठे काणा- "हाँ करिम दुरस्त्, वहिच दो हरामि गद्दारि किएला है, अपुन ढुँढता हैन दोनो को! तु घोडा निचे कर्!"

अब्दुल (मोबाइल फोनपे)- " हाँ भाई...छोकरीके साथ...हाँ..दुबई भागनेकि सोचरेला था...हाँ भाई......सात.......हाँ भाई........अब्बि लो भाई!"

करिम- " भाई क्या बोलता?"

अब्दुल - " भाई बोलता कि, करिम तु साइड पे कलटि मार्"

(करिम साइडपे जाता है और--_

अब्दुल - (धाँय............. धाँय............... धाँय...........)

(रिठे काणा गोली लगने से जमिनपे गिरता है!)

बसन्ती- "नहिँsssssssssss!"

करिम- "इस छोकरी को भि चुप करा रे अब्दुल, सालि चिख चिखकर नाकमे दम कररेलि है!"

अब्दुल - (धाँय............. धाँय............... धाँय...........)

(ब्याकग्राउन्ड म्युजिक--- ' जिन्दगिकि तलाशमे हम मौतके कितने पास आ  गएँ.................ट्याँssssssssss.......... ट्याँssssssssssssss...........)

THIS IS THE BGINING

ढ्यानट्यार्यान.....

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