Posted by: ritthe May 13, 2008
~ चौतारी- ११५ ~
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म काणा: गन्नु भाय वो हर्के रङीला आरेएला है भाय ! देख न भाय कैसे हिरन के माफिक चल राहा  है !

गन्नु भाय:
ओये काणे अब्भी उसको कुछ नही बतानेका सम्झा क्या? अप्पुन उससे थोडा 'कौन बनेगा करोड्पती' खेलेगा पेहेले

म काणा:
ठीक है भाय

हर्के रङीला:
सलाम गन्नु भाय

गन्नु भाय:
सलाम, अब्बे रङीला ये तेरे बदन पे क्या हुवा रे? मलिका कि माफिक क्यु ऐसे मटक राहा है तु?

हर्के रङीला:
क्या बताउ भाय वो लंगडे के आदमी मेरे पर अभी भारी पड रहे है भाय ! वो लोग अप्पुनका जिना हराम कररहेला है !

गन्नु भाय:
उश लँगडे कि तो ऐसी कि तैसी ! क्या किया तेरेको वो लंगडे के आदमी?

हर्के रङीला:
अब क्या बताउ भाय ! कल मै अपना वो थानेदार से मिल्ने गया था ! रास्ते मे मेरेको वो लंगडेके आदमी मिलगिया !
अब भाय मेरे पर इतना उतर पडा कि क्या बताउ भाय ! बोल्ने लगा कि तेरेको आज नाचना पडेगा इधर !
अब क्या बताउ भाय मेरेको नाचना भि नही आता ! और वो लोग बोलेते मेरे को वो 'घाङरा' पेहेन्ने को दिया ! और भाय वो सोलेका गाना है ना "जब तक है जा जाने जहाँ मै नाचुङी' उशिच गाने पे नचाया भाय अप्पुनको !
और बिच बिच मै बियरका बोतल भि फोड डाला और उसिच् सिशे के उपर नचाया भाय ! मेरे को बचालो भाय !

गन्नु भाय:
काणे चल सेरिअल लंगडेको बुला इधर !

 
Last edited: 13-May-08 10:59 AM
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