Posted by: serial May 7, 2008
चौतारी- ११३ -- भुल्न सक्या भये मरीजाम :-(
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चाँद पर काली घता छाती तो होगी,
सितारोँ मे चमक आती तो होगी।
तुम लाख छुपाओ दुनियाँ से, मगर अकेले मे 
तुम्हे अप्नी शकल पे हँसी आती तो होगी
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