Posted by: Birkhe_Maila May 7, 2008
चौतारी- ११३ -- भुल्न सक्या भये मरीजाम :-(
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अहम जब श्रबणन्ती कि दिपीका भगिनि अहम निश्ठुराणि कहन्ति, अहम अत्यन्त मर्माहात भवन्ती! सम्पूर्ण जिन्दगिस्य अहम प्रचुर मधुर हृदयस्य स्वामि भवन्ती मगर एस रोज दीपिका भगिनिस्य पोस्टम जब पढन्ती त चछ्चुस्य गंगा जमुना बहन्ती! कठै अब् अपुन क्या करन्ति?
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