Posted by: ritthe May 6, 2008
चौतारी- ११३ -- भुल्न सक्या भये मरीजाम :-(
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हा हा हा हा दीप ब्रो लोल ! नेत्रे ब्रो लोल !


>>>"वही लडकी जिस्को आपने बहुत साल पहले उसकी ख्वाबमे जाकर लोप्पा खिलाया था -- उसने वह बात भुली नही है अब तक -- उसी ने फैलाया है यह जण्डीस बाली बात"---<<<

>>>"इन दिनों वो चौतारीका जासुस ज्यादा और मेरा भक्त कम लग रहा है -- सोच रहा हुँ उस्को गोपीनी बना दुँ -- फिर किस्न निपटलेगा उसे-- तु कुछ अफवाह कि बात कर रहा था--"<<<



अड्डामा रुमालले मुख थुनेर पढेर रेस्ट रूममा गएर रुमाल खोल्नु पर्‍यो ! उपाय नै छैन त !
तपाईंहरु चट्टान ! (यु गाइज रक भन्या है)
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