Posted by: Rahuldai May 2, 2008
~चौतारी - ११२~
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अरुणा लामा का मर्म स्पर्शी गीतहरु, मनै छुन्छ हर्के, तनै छुन्छ हर्के।

यहाँ फूल न खिलेछ, बहार आउन नै भुलेछ,
यहाँ चोट दुखेकै छ, तर सहन परेकै छ।

शरण प्रधान यो गीत पुरै आउछ?

 

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