Posted by: CaMoFLaGeD April 30, 2008
~चौतारी - ११२~
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बुधबारे जदौ यो सोझो कुम्लेको!
सबैलाई सन्चै होला क्यारे!! आफ्नो त उहि हो! सधै सन्चै!!

हिजो गन्नु भाईको कुरो अलिकत्ति सुन्या थिएँ त्यहि सुनाउँ भनेर!!

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गन्नु: अबे रिट्ठ्वा! हमे यह कहाँ लेके आया रे?
रिट्ठे: गन्नु भाई आपने हि कहा था ना कि आपका पुरा बाँडी साँर्विसिङ कराना है!
गन्नु: हाँ तोह! यह कौन सि साँर्विसिङ सेन्टर है बे!
रिट्ठे: यह वोह जगह है माई बाप जहाँ लोग अप्ने दाँत कि साँर्विसिङ कर्ते हैँ!
गन्नु: अबे खामोश! पुरा का पुरा घुसा डालुङा तेरे अन्दर! कौन कम्बक्थ केहता है कि यह साँर्विसिङ सेन्टर है? मुझे तोह यह मेहेफिल लग्ता है!
रिट्ठे: क्योँ टेन्सन लेते है आप माई बाप! आपको दो दो साँर्विसिङ मिलेगा यहाँ।
गन्नु: वोह कैसे, खुस्सड?
रिट्ठे: अभि पता चलेगा माई बाप!
डाँग्डर:   किन आउनु भएको यो रातमा
              के समस्या आयो तपाईको दाँतमा
गन्नु: अरे बाप रे! यह क्या है! क्या दाँतमा और रातमा लगा रहा है यह?
रिट्ठे: यह डाँग्डर शिरिष हैँ! वोह हमेशा काफिया मे बोल्ते हैँ! यहि है डबल मज्जा यहाँका! आपका साँर्विसिङ भि होगा और आपको गजल सुन्नेको भि मिलेगा!
गन्नु: अरे हम्ने तोह सिर्फ माफिया सुना था सला यह काफिया कौन है?
रिट्ठे: काफिया बोले तोह जैसे आपने माफिया और काफिया बोला न वहिच है भाई!
गन्नु: सला हमारा दिमाग मे कुच भि नहिँ घुसेला है! चलो इसे बोलो कि हमारा दाँतका साँर्विसिङ करा दे!
डाँग्डर: अरे यहाँको फेसमा दुइटा दारा रहेछ
             अनुहार राम्रो तर दाँत ज्यानमारा रहेछ
            निकाल्ने होइन, काट्नु पर्यो गन्नु भाई
            खोज्नुपर्यो कहाँ त्यो काट्ने आरा रहेछ!
गन्नु: अरे भागो भाई! हमारा चुहा किधर है?

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