Posted by: ritthe April 29, 2008
~चौतारी - ११२~
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हर्के रङीला: बिरु भाय बिरु भाय वोह अपना सेरिअल लँग्डा है ना उस्की तो बेन्ड बजगयी भाय !
बिरु भाय: वो कैसे हुवा फिर?
हर्के रङीला: कल सामको वो सेरिअल लँग्डा वो बाजु बाली छिप्कलीके साथ मेले पे गया था ! उधर उसको भगुत पंगिया के आदमियो ने उसकी अच्छी धुलाई कि ! बहुत मारा उसको पाता फर्काके !
बिरु भाय: चल मेरा घोडा निकाल ! उस्को छे का छे डाल्के उधरिच उस्का भायगिरी निकाल दुंगा !
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