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दीप: "गन्नु भाइ गन्नु भाई, फोन कि घन्टि जा रेलि है!"
गन्नु भाई: "फोन मेरे को दे और तु यहाँ ले कलटि मार्!"
दीप: "ए लो गन्नु भाई!, भाई आपको ठन्डा मगाउँ?"
गन्नु भाई: " अब्बि यहाँसे कलटि मारनेका नहिँ तो तुझे ठन्डा करदुंगा, दबाउँ क्या घोडा?"
दीप: "भाई तुम भि ना, जाता है न भाई अपुन"
गन्नु भाई: ""गन्नु भाई बोलरेला हुँ, जो अपुन बोलेगा दिमागकि बत्ति जलाके ध्यान से सुननेका, भेजेमे डालनेका और गन्नु भाई से पँगा ना लेने का क्या! अपुनका इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिजिनेस है, इम्पोर्ट बोले तो उठाके लानेका, एक्सपोर्ट बोले तो खलास करनेका क्या! कब से देख रेला हुँ अख्खि स्वरगके गोपिनि आइटमलोग से तेरा चुमाचाटु चलरेला है, और अपुन गन्नु भाईके खोलि खालि खटिया खालि क्या! जो हो रेला है ठिकै नहिँ हो रेला है!....क्या? क्या बोला रे तु? कानके निचे कैप्सुल घुसा डालुंगा अब्बि के अब्बि!...हाँ अब ठिक है आगे बक्! ... क्या रे बाँसुरि चाहिए?? अबे घोँचु, अपुन असलि घोडा ले के घुमता है, जो आइटम अपुनसे लाँव करनेको आएंगा वो घोडा चलाएँगा बाँसुरि नक्को!..अब्बि ज्यास्ति ना नक्को करनेको नहिँ मांगता अपुन, अब्बि घोडा खिँचकर माउथपिसमे डालकर, रिसिवरसे निकाल कर कनपटि पे घुसा डालुंगा, अलटि पलटि हो जाएँगा तो गन्नु भाइ पे बिलेम ना करने का क्या! अपुनको आज शामके भितर एक सौ गोपिनि आइटम चाहिए, अपुन खन्डालाके पुरानि मन्दीरपे बाबु कुम्ले के साथ अपुनका लडकालोग भेजता है, चुपचाप आइटम लोग को लानेका और पतली गलि से कट्टि होने का! काटता हुँ!.......अबे ओ कपिआ, अबे हो पप्पु कुरला, अबे बाबु जलेला, अबे रिठे काणा, अबे दीप मोबाईल, अबे राहुल उस्ताद कहाँ मर गए सब के सब! अबे गाडि निकाल अपुन भाइ पार्लर जानेको मांगता, भाइ पारलर बोले तो भाइ लोगोँका सर्विसिंङ करनेका जगह, अपुन सुँड घटानेका है, तोँद घटानेका है, दाँत साफ करनेका है और बिलकुल हिरोके माफिक दिखनेका है क्या????"""