Posted by: Birkhe_Maila April 29, 2008
Login in to Rate this Post:
0
?
गन्नु भैया: अबे फिर से आ गया?
रिट्ठे: हांजि माइ बाप!
गन्नु भैया: फिर काहे कु आया रे? अ बे कुछ तो शरम कर निचेका दुकान खुला है!
रिट्ठे: वो माइ बाप जो कट्टु आप ने दिया था उसका नाडा गायब है!
गन्नु भैया: अबे बिन नाडे कि कट्टुसे तो दुकान खुलेगा हि, कौन ले गया रे नाडा?
रिट्ठे: माई बाप, वो आपने बिन नाडे कि कट्टु भिडा दि मुझको!
गन्नु भैया: अबे मेरे पास जो था वहि दिया है, अब नाडा किधर से लाउँ?
रिट्ठे: पर माई बाप आपके पास बिन नाडे कि कट्टु किधर से आया?
गन्नु भैया: अबे वो मेरा नहिँ है, वो तो मेरा बाप शंकरिया उतार के गया था!
रिट्ठे: तब तो हम यहिच कट्टु पहनेगा माइ बाप, शंकर छाप कट्टु!
((((((((((((ध्यानट्यार्यान.....ढुकचुक ढुकचुक...ध्यानट्यार्यान))))))))))
आप भि पहने , दुसरोँ को भि पहनाइए, शंकरछाप कट्टु, नाडा बाँधने कि जरुरत हि नहिँ!
टुंगsss।।।।।