Posted by: serial February 14, 2008
~~ चौतारी - शतकांक विशेष ~~
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कोइ दीवना केह्ता है,कोइ पागल समझ्ता है
मगर धर्ती कि बेचैनी को बस पागल समझ्ता है
मे तुझ्से दूर कैसा हूँ, तू मुझ्से दूर कैसी है
ए तेरा दिल समझ्ता है, या मेरा दिल समझ्ता है
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