Posted by: serial February 14, 2008
~~ चौतारी - शतकांक विशेष ~~
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आफ्नो पुरानो पोस्ट हेर्दैइ थिए, आफुले टासेको सायरी भेटाये,
सायरी टासी टासी चौतारी छिरेछु म त,


खमोश रात के पेहेलुमे सितारे ना होते,
इन्न रुखी आन्खोमे रङीन नजरे ना होते,
यकिन मनिये हम भि न कर्ते पर्वहाँ,
अगर आप इत्ने प्यारे ना होते।

वफा का नाम न लो यरोन,
वफा दिल को दुकहती है।
वफा का नाम लेते ही,
हुमे एक बेवफा कि याद आती है

कौन रख्ता है याद नामओ को,
लोघ इन्सान को भूल जाय कर्ते है।
टुम समानदर के बाट कर्ती हो,
लोघ आन्खो मेइ दूब जाय कर्ते है।

बेवफा सनम से तो cigarette अची है,
डिल जलती है, पर होतो से तो लग्ती है।

आप्की मुस्कान हमरी कम्जोरी है,
केह न पान हमरी मज्बुरी है,
आप क्योन नही समाजह्ते इज खमोशी को,
क्या खमोशी को जुबान देना जरुरी है?

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