Posted by: miss_ me January 28, 2008
-- चौतारी - ९६ --
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हर्कबादुर दाई,

 हउरलै नउस्ते अर्न लै हात जोडेकी मात्रै थिए हउरले चै नेप्चि सिसले बनाको क्वाँटितिर आँखा दौडाम्नु भओ  मलै देख्नु भ'न के रे नि अनिखेरि  म त खिस्रिक्क  परे के रे ।लाच लाउच के मलै त आचाक्लि ---- अनि पिपिलको ओत ला'र बसेकिम  हिहिहिहि ---

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