Posted by: Rahuldai January 11, 2008
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बाह्! अन्तरे, बाह्!
यस्तो पो गीत राख्नु। बाकि त अगित।
तुम जो कहते तो
आज कि रात चाँद डुबेगा नहीं
रात को रोक लो................................................