Posted by: Madness January 10, 2008
-- चौतारी - ९३ --
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लोलवा उफरि! वहि त हमि सोचेथियो कि उफरि जो छ बहुते चालाक और इन्टलिजैन्टवा छ। खेँ खेँ खेँ

अथि ठिक बात बतियायो उफरि, हमि हैन्डसम्वा छु, बिलकुल छु। हँ? त पहलेको लम्बा मुँछ भि काँटछाँट करके करारि बनाएछु बिल्कुल जैकि सराफ अस्टायलके। त उ बाल उगाएछु मिथुन कट। हँ?  हँ त सैन्डल लगावँछु हमि बाटाके। हँ? त बनियान कछ्छा लगावँछु रुपाके, पर हमिलाई नसोधोहाल्नुहोस कि तब रुपा कथि लगावँछ खेँ... खेँ... खेँ...। बालपे हमि लगावँछ केँओ कारपिन। बुशाँर्ट हमि लगावँछ गरबेरियाके बिरान्डके। पर उ हमरो लुङ्गि कौन बिरान्डके छ हमि मालुम किए छेन।

झिलके दाजुको और राहुल भैयाको भि हमि परनाम करेछु।

जे राम जि कि।

 

 

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