Posted by: भउते January 8, 2008
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ओइ म्याड्डी ! तुम्ले निहु खोज्ता हइ ? खोजा हइ तो सिङ्गल सिङ्गल आता हइ। डरता हइ त लुङ्गी पकडकर भाग्ता हइ। अभि तुहारी घुच्चुक मइ ऐक मुक्का धस्ता हइ तो तुहारी मुह से पान उछलकर बनवारलालके बेटीके शर पर गिर्ता हइ। तभी तो तोह भि "खेँ खैँ खैँ" करना छोडके हम जैसे "हेँ हेँ हेँ" कर्ना लग्ता हइ। पान तुमारी पाश होता हइ तो हम कैसे अन्तरेको खिलाता हइ ? साराका सारा हाँसपिटल तुमारी कब्जामा हइ तो मैले कसरी तेजाप पाता हइ? अपना सारा पिलानका दोष हमको लगाता हइ। अगर सधैँ ऐसन हइ तो तुमको पकडकर नेपाल सर्कार बनमन्तरी बनाता हइ।