Posted by: Madness November 30, 2007
--चौतारी --८८--
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अरे गवाँचे दाजु, हमि सुनेछु हुजुर बार बार, रेडियो और टैलिविजनवामे उ हानिकारिणिके बात। पर हमि बुझेछेन कि उ रेडियोले लोगन कहाँले बात लियावँछ। हमरो दादा ८० साल जियो, बुह्रोके पुरे लाईफमे चोबिस घन्टे मुहमे खेनि हुन्थियो। हमरो गावँमे सबके सब पान खेनि चबावँछ और कहिले बिमारि हुन्देन। पर जब जब पान खेनि खानेको छोर्छ सुसरालोग को पेटके बिमारि और रातमे निंन्द नआवने बिमारि हुन्छ। फिर से अस्टारट कर्छ त ठिल भे हाल्छ। पर जो भि हमरो देहात गावँमे सला बहुते बिमारि हुन्छ उ सुसरा को खेनि पानके आदत नलागेको हुन्छ। आयरोनिक बात छ पर वहि हमि देखेछु। छोरनेको त छोरने हो, पर हमि कसम खाएछु एक्टा अमल हमि रख्छु लइफवामे। अभि सला गुटका खेनि के अमल छ, जब शादि बनावँछ तब अफ्नो लुगाइके अमल कर्छ खेनि गुट्खा छार्छ हमि।
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