Posted by: Birkhe_Maila November 30, 2007
--चौतारी --८८--
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अबे चल हवा आने दे! सानपत्ति नहिँ करनेका! अब्बि अपुनका दिमाग गरम होगेला तो घोडेका क्याप्सुल कनपटिपे घुसा डालुङ्गा, खोपडि अलटि पलटि होगया तो बिर्खाभाइ पे बिलेम मत डालना!

राहुलभाइ! भाइ, आज अपुनकि खोलिमे किधरसे आएला है? भाइ अपुन बहुत खुस है भाइ, आप आए न भाइ। भाइ इधर कुर्सिपे बैठो भाई। अबे कपिआ भाइको ठन्डा लाओ रे!

अरे उफ्रि किधरको गएला था? तुम नहिँ था त अपना रिठिया कम्पनिका काम ठिकसे नहिँ करता था। सुपारि लेता था और चबा डालता था, बच्चेको मा से किडनैप करके बापके पास भेज देता था, गेम बजाने जाता था तो गलिके बच्चे लोगनके साथ फुटबाल खेल के आता था।

अरे ठुलिया, ज्यास्ति बाहर नहिँ निकलनेका क्या? भाइकि बहन है रे तु, कुछ स्ट्यान्डर्ड बनानेका। अब्बो कोहि तेरेको छेडे तो अपुनको बोलनेका।

 

 

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