Posted by: Rahuldai November 21, 2007
~चौतारी-८७~
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मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दिवाना था, कभी मीरा दिवानी है।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है , जो ना समझे तो पानी है।
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