Posted by: ritthe November 5, 2007
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किसनुद्दिन कालेबुर्रहमान को हमारी आदाव
हम भि चौतारी-ए-महेफिल मे आपका तसरिफ का पुरा
लिहाज करते हुये आपकी मेह्फुज का अल-इत्र हुस्न नुमायिसी कि रौनक-ए-मेह्फिल कि बडी आफताव करते है