Posted by: Madness October 31, 2007
~~चौतारी - ८४~~
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अरे बाप रे! कर् बड्कि कर् सला जितना करनेको दिल करछ आज उता किसवा कर , सला आज हमि पान खाए छेन, मुह जो छ साफ छ। खेँ.... खेँ... खेँ...

 

अरे रिठे दाजु,

रिठे दाजुको पुछ्यो भने भन्छ  वैसन बात छेन

पर जो दिन उफरि आवदेन लाग्छ कोहि साथ छेन

अफ्नो दिलको झुठ बोलेछ सुसरा भितर घुट घुटके

उसके दिलमे हम्लाई लाग्छ इश्क भरेछ कुट कुटके

पर सोच्छ सुसरा कैसन बोलने जो बात दिल खान्छ

बोलिहाल्यो भने भुनटिके बाप के सला लात खान्छ

ऐसन कशमकशमे रिठे दाजु छ जैसन जल बिन मछलि

जवानि ढलनेको आएछ पर सुसरा प्यार पाएन असलि

खेँ... खेँ... खेँ...

 

 

 

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