Posted by: Birkhe_Maila October 30, 2007
Login in to Rate this Post:
0
?
बन्दापरवर अल किसन्नुद्दिन कालेबुररहमान, आप इस महेफिल-ए-चौतारीमे तसरीफ लाएँ तो इन महेफिल के शान-ओ-शौकत पे रंग-ए-हिनाका आजमायश हो गया! राग-ए-रंग कि जो तमन्ना थि वो परदा-ए-दिल खुलजाने से तबस्सुम-ए-बहार बनगई है।
सब को आदाब!