Posted by: serial October 30, 2007
~~चौतारी - ८४~~
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तुम्हरी आँखो से आँसु तप्के तो गुलाब बन जाएे
तुम्हरी नजरे उथी तो सुबह हो जाएे
कसम है तुम्हे मेरी गंगा मेइन मत नहाना
कही गंगा का पानी सराब ना बन जाएे
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