Posted by: kishnekale October 30, 2007
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आदाब अर्ज करता हु हुजुरलोग, कुछ दीनके बाद् इधर आना नशिव हुआ। अच्छा लगा मिले दो शायर। राहुल इलाहादी और बिराख गोरखपुरी (वैसे उन्को बिर्खे कान्तीपुरी कहेना ठीक लगेगा) साथ हो माहौल कितना अच्छा! : )