Posted by: Madness October 29, 2007
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आँशु भरि है ये जीवन कि राहेँ
कोहि उनसे कह दे हमे भुल जाए
बरबादियोँ कि अजब दासता हुँ
शबनम भि रोए मै ओ आशमा हुँ
उन्हे घर मुबारक हमे अपनि आहें
कोहि उनसे कह दे हमे भुल जाएँ
जे राम जि कि।