Posted by: Deep October 19, 2007
"ईन्द्रेणी"
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दिल-ए-नादान तुझे हुवा क्या है

आखिर इस मर्जकी दवा क्या है "

यो भन्दा नी जिम्माल त्यो साँझ त यसबाट पो सुरु भाको त --

राज की बात है इस मेहफिल मै कहें या नकहें
बस गया है कोई इस दिल मै कहें या नकहें

निगाहे मिलानेको जी करता है
दिलो जाँ लुटानेको जी करता है ---


ऐयाउ!

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