Posted by: ritthe October 10, 2007
** चौतारी - दशैं विशेषांक **
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Punte daai, dhanyabad jamara ko bidhi ko laagi.
Antare guru malai man parne antaraa chahi yo ho: hurukkai bhaye sunera ma ta

मजबुर यह हालात ईधर भी है उधर भी
तनहाई कि एक रात ईधर भी है उधर भी

कह्ने को बहुत कुछ है मगर किससे कहेँ हम
कब तक युँ हि खामोश रहेँ और सहेँ हम

दिल कह्ता है दुनियाँ कि हर एक रश्म् उठादें
दिवार जो हम दोनो मेँ है आज गिरा देँ

क्युँ दिल मेँ सुलगते रहें लोगोँको बतादें
हाँ हमको मुहब्बत है, मुहब्बत है मुहब्बत

अब दिल मे यहि बात इधर भी है उधर भी

मैँ और मेरी तन्हाई
अक्सर यह बातें करते हैँ


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