Posted by: serial October 10, 2007
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ए आखे मेरी दिल कि जुबन है।
यो सयरी चाँही दीप को लागि
क्या आखे है, क्या चेहेरा तुम्ने पाया है।।।
ऐसा लग्ता है जैसे पीपल के पेद से भूत उतर आया है।।।