Posted by: Madness October 1, 2007
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सब ठिकठाक से छ रिठे दाजु हुजुरको कथि छ?
अरे कुमलवा! कथि हालखबरिया छ रे? हमि सुने थियो हुजुरके हियाँ बारह मन खेसरिया भयो यो साल?
अरे बाप रे बड्कि आएछ-
हमि आज फिर से मुआह पाएछ-
ठुलि हमको आज फिर से मुआह किएछ
हम्रे मुहके कडवा पान के बास सला मिठा भएछ
ओँठ पुरे सुखे थियो हम्रो बिना किसवाके
किस पायो लग्यो हमि चाय खायो मसाला मिसवाके
जे राम जि कि।