Posted by: world_map September 30, 2007
-चौतारी ७७-
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गुट आप्टरलून!!! के हुँदैछ यहाँ? यौटा कविता भन्न मन लायो! साँघुरो गल्लीमा मेरो चोक छ यहाँ के छैन सब थोक छ रात रातभर उपियाँले टोक्छ दिन दिनभर रूपियाँले टोक्छ साँघुरो गल्लीमा मेरो चोक छ यहाँ के छैन सब थोक छ.......
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