Posted by: ritthe September 14, 2007
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पुछो ना उस् कागज से, जिसपे हम दिलके बयान लिख्ते है
तन्हाइयो मै बिती बाते तमाम लिख्ते है
वो कलम भि दिवानी हो गयी है, जिस से हम आप का नाम लिख्ते है