Posted by: Rahuldai September 14, 2007
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लौ बिर्खेजी ले उर्दूमा बात मारेकोले एउटा उर्दू गजल को शेर याद आयो।
न दोस्त है न रकीब है
मेरा शहर कितना अजीब है।
रकीब को अर्थ- जान्नेलाई दर खाएर बाकी मिठाई पुरस्कार् दिइने छ ( पुरस्कार सौजन्य-दुर्गा भाउजु)