Posted by: Birkhe_Maila September 14, 2007
--चौतारी - ७६ --
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कठै सान्नानि त साँच्चै व्रत बसेको नि बिर्सिरा! छैन बा सान्नानि छैन मैले केहि खा' छैन। मैले मटन संग नान खा'को हैन। मैले आलु काउलिको तरकारि खाको पनि हैन।झन चनाको दाल फ्राई खा भए कुरै गर्दैनथिएँ! बिचरा व्रत बस्या बेलाँ खा को भनिछु! अबे ओ अब्बि इस उजडे हुवे चमन जैसन बाँडि मे से जोश नहि हटा है। क्या? अबे सुखे खजुर के किडे लगे बिज तु अपुनको क्या धौँस देता है रे?? अबे खालि कोल्ड ड्रिङ्क्स के मुडे हुवे स्ट्राँ तुझे ना आब्बि का अब्बि सुला डालेगा अपुन। क्या? अबे भुकम्प मे उजडि हुइ इमारत, क्या समझता है रे तु अपने आपको! अब्बे बहुत कमिना आदमि है अपुन, खोल बोलेगा तो खोल हि डालेगा, कोइ पुलिसका लफडा नहिँ, कोहि दरियादिलका बान्दा नहिँ!
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