Posted by: Poonte August 29, 2007
~~चौतारी ७३~~
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भोकै बसेर भएनि हाम्लाई रिस पोख्नि रे। लौ न! सकिएन! लोल बिर्खे! तेल मत्रै? तेल सेल सेकेर मिचि पनि दिन्छु के! बरु, तो दुखेओ औंलाँ अम्ठी घुसाईदिनि जिम्माल्नि खोज्दिनि जिम्मा नि मेरै भो, ल! (मज्जै मज्जा हो के रे। सिरियस चईं हैन है! )
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