Posted by: sky August 17, 2007
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वाह! वाह !
दाssssssssमी गजल'
oh ya,
'नसोध मलाई सूर्य भित्र राप कति हुन्छ
प्रेममा, सानो भूलले, पश्चाताप कति हुन्छ
बिहानै उडेकी पन्छी नफर्के गुणमा कठै
चाराको खोजीमा बचेरा-बिलाप कति हुन्छ
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क्षमाय परमो धर्म: सर्वेषामित निश्चय:
माफी दिइहेर भोलि फलिफाप कति हुन्छ'
अरु पछी