Posted by: sky August 17, 2007
##चौतारी ७०##
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वाह! वाह ! दाssssssssमी गजल' oh ya, 'नसोध मलाई सूर्य भित्र राप कति हुन्छ प्रेममा, सानो भूलले, पश्चाताप कति हुन्छ बिहानै उडेकी पन्छी नफर्के गुणमा कठै चाराको खोजीमा बचेरा-बिलाप कति हुन्छ --------------------------------------- --------------------------------------- --------------------------------------- --------------------------------------- क्षमाय परमो धर्म: सर्वेषामित निश्चय: माफी दिइहेर भोलि फलिफाप कति हुन्छ' अरु पछी
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