Posted by: Madness July 27, 2007
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अरे गना याद दिलाइदिनुभयो हुजुर।
त हमि गाएछ,
हम्रो घइरके अंगनामे सुपारिके बोट
हमको घायल कियो हुजुर सुसरिके ओठ
पानके पात....त दिनके रात
धोबनियाके पिंजरामे चार-चार गो बट्टाइ
पतंग चेट भियो हम्रो घुम्देन जिन्दगिके लटाई
पानके पात...त दिनके रात
जे राम जि कि।