Posted by: Madness July 13, 2007
~~चौतारी-६२~~
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हमि पुनटे भैयाको भि धनवाद् दिएछ। कइल पुनटे भैया हमको चार गो लरकि दिखायो। चारोँ के चारोँ छम्मकछल्लो थियो। सइब के सब लरकि एक से एक। पुरे हाहाकारि बदनवा दियो छोरिलोग के। डान्स ऐसन कियो सला माधुरि दिक्षितवाको फलप करिदियो लरकिलोग ले। त हमि देखेँ डानस वानस, पर हम्तो चानस छेन उधरको। हमि सला सिधा मदनवा छ, ऐसन ठुमका लगाउने लरकि संग बात चलाउन सक्देन हमि। हमि शरमिला छ के कर्ने हुजुर, हमि जस्तै सिधि लरकि हमि खोजेछ। उ जो छ सला जोबनिया देइख के दिल मा उबाल और दिमागमे भुचाल त आइहाल्छ पर हमि हम्रो ओकात भुलेछेन हुजुर। पुनटे भैया जो करेछ हमको लरकि दिखाइके हमि बहुते खुस भएछ। हुजुरको भि हमि शुभ्काम्ना दिएछ। हुजुरके माथेपे सला अजम्बरिके झाडि जैसन बाल उगिहालोस आवने सालमे। जे राम जि कि।
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