Posted by: Madness June 4, 2007
--चौतारी-५७--
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गगनपे बादल छेन पर उसले पानी पारेछ एक लरकि सुसरी हमको आँख मारेछ जोबनिया बरसाईके जव उस्ले हमको देख्यो बाप रे हम्रो सब के सब जवानि हारेछ लाल लेहंगापे गुलाबि चोलि गोरिया यस्तो दिख्यो कमरिया मट्काईक हमे घायल पारेछ आँखमिचौलि बहुत खेलेछु उसके काजल संग दिलमे तीर लग्यो जब आँचल थोडा सारेछ गगनपे बादल छेन पर उसले पानी पारेछ एक लरकि सुसरी हमको आँख मारेछ जे राम जि कि।
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