Posted by: Madness June 1, 2007
--चौतारी-५७--
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चोतारि गावँमे आएर सला हम्रो बहुत दिल खुस छ। त एक रोज को हमले ए गो कबिता लेखे थिएँ हम्रो भुँरिको बारेमा।
त सला उसके बादमे नम्बर छ हम्रो नभएको बुह्रिँ को बारेमा। उ जो छ भउते भैयाके बातसे सला बहुत अम्पिरेस्ड भइलियो त लेखिदियो। :)
हम्रो गना क शिर्सक छे:

हमने लरकी पाएन!

जवानिके जदलिजमे लभ कर्नै आएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन

एगो छौँडि दिलले खायो सोल सत्रे सालमे
कालि कालि दिलवालि, नशा सुसरिके चालमे
मुहमे पान चबाईके हमने साइकिल कुदायो
उसके घरके रस्तामे हमने अड्डा जमायो
दु दिन पछि त सला लरकी बाहिरै आएन
बिहे गौना सब भइलिएछ हमले थाहै पाएन
ऐसे इन्तजार बहुत करेछु, तर हार खाएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन

चोरस्तामे खोलिदिएँ दुकान पान सुपारिके
दिनभर खालि लरकि देख्थेँ रोड वारिपारिके
२-४ साल देख्दै बित्यो लरकि एउटै फसेन
हमलाई लइन मार्नेहरुसंग सला हम्रो दिलै बसेन
अब तो गालके दोनो तरफ चावरि वावरि परेछ
भाई भतिज सबके सब सुसरालि तिर झरेछ
सुसरालिमे भात सला, हमले कहिल्यै खाएन
बुढापेले भेट कर्यो सला हमले लरकी पाएन
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