Posted by: khabrdar March 3, 2007
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How about this Dev anand maasterpiece?
ए दिल नाहोता बेचरा
कदम नहोते आवारा
जो खुबसुरत कोइ अपना
हम सफर होता, हो हो हो....
ए दिल्।।।
अरे माना उस्का पता भि नहिँ जानता
बन्दा आये है राहि बन्कर् प्यार्
डवाडोल् भयो कता उल्टा सुल्टा प-यो।