Posted by: khabardar February 19, 2007
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अरि हौ अ्एजिङ जी,
ए तो आपकी सन सत्चालिस् कि है । । अ्आ यार्, पूराना गाना अछा लगते हि कोइ क्या अपने आप् बुड्ढा हो जाता है क्या? देखो, बैजयन्ति माला को, अ्आ यार् लगता है कि अभि चुम् लु!! कितनी सादगि है, कितनी चन्चल् है, अपनि दिल् कि तार् को तो वो कबकि छु गयी।वो अभी भी ला जाबाब है ।
एक् अर्ज् करता हुँ,
वो सपने मे आकर भि चली गयि,
हम अब भी नजर बिछाए बैठे है,
आदाब् भैया