Posted by: Luture January 30, 2007
के हो यो ? अनि के गर्न लागेका छन यिनिहरु ?
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Another one कुछ अपरिहार्य सवाल Vivaswan (Mod4) on 23 January 2007 - 20:24 कुछ अपरिहार्य सवाल क्या हमारे नेतालोग अब भी उसी तरह उन पहाडीयों के पिछे कुत्ता बनकर चलते रहना पसंद करेंगे, जिसको हर बक्त वश पहाडियोंका दिया हुआ आदेश पर खाली नाचते रहना पड़ता है, और कुछ नहीं ? क्या हमारे नेता अब भी भिखारी ही बनकर एक टिकटके लिए या एक निकम्मा पद के लिए पहाडियों के पाँव मलते रहना पसंद करेंगे ? क्या हमारे नेता उसी तरह नपूंसक बनकर संसद मे अब भी बैठे रहना चाहेंगे, और उपहास का पात्र बने रहना चाहेंगे? क्या हमसब अब भी उसी देश के उपनिवेश बनकर रहना पसंद करेगें, जो जिस बक्त चाहे जैसा संविधान बनाकर हम पर लगा दे, जैसा भी कानून बनाकर हम पर लगा दे, जो भी नियम बनाकर हमारी जमीन छिन ले, हमें सारे अधिकारों से वंचित कर दे, हमें गैर-नागरिक बना दे, और हमे अपने ही घर से भगा दे ? क्या हम अब भी उसी देश के बासी होना चाहेगें जहाँ मधेशी के भयानक चित्कार को कोई मेडिया सुनता न हो, मधेशी पर हुए आक्रमन को कोई देखता न हो, न्याय प्रणाली के सारे दरवाजें बन्द हो, मधेशी के लिए कहीं कोई न्याय न हो ? क्या हम अब भी उसी देश के उपनिवेश बनकर रहना पसंद करेगें, जो जिस बक्त चाहे हम पर कर्फ्यू लगाकर हमारी आवाज को दबा दे, और जब चाहे अपने सैनिक और सशस्त्र पुलिसको परिचालित करके मधेशीका आम-नरसंहार कर दे ? क्या हम अब भी उसी पहाडियोंको साथ देना पसंद करेंगे जो हमारे ही घर मे आकर आग लगा दे, हमारी माँ-बहनको बलत्कार करे, लुटपाट करे, और हमें और हमारे बच्चों को मार दे, जिन्दा जला दे ? एक स्वतन्त्र मधेश के अलावा अब कोई और विकल्प नहीं है । जितनी भी राहें थी, सभीको हमने जाँचकर देख लिया है । इन २०० वर्षके उपनिवेश कालमे, चाहे जिसका शासन हो, राजा का हो, राणा का हो, पहाडी-प्रधानमन्त्रीयोंका हो; या फिर जो भी शासन-प्रणाली हो, राजतंत्र, राणातंत्र, प्रजातन्त्र या गणतन्त्र, मधेशीको इन सबसे कुछ फर्क नहीं पड़ता, ये सब पहाड़ीयोंके लिए है । मधेशी इस देशमे दो सौ वर्ष से गुलाम बनकर रहता आया है, और जब तक इस देशमे रहेगा, गुलाम ही बनकर रहेगा, चाहे जो भी शासन-प्रणाली क्यों न आ जाए । और ईसलिए, अगर हम ईस गुलामी से आजाद होना चाहतें हैं, तो अब और कुछ नहीं, भिखारी की तरह ये माँग वो माँग कुछ नहीं, वश एक स्वतन्त्र मधेश के लिए लड़ना है, वश एक स्वतन्त्र मधेश ! जय मधेश !!
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