Posted by: amanush January 18, 2007
यो माया नभए के होला ?
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-kanhaiya lal nandan हर सुबह को कोई दोपहर चाहिए मैं परिंदा हूँ उड़ने को पर चाहिए. मैंने माँगी दुआएँ, दुआएँ मिली उन दुआओं का मुझ पे असर चाहिए. जिसमें रहकर सुकूँ से गुज़ारा करूँ मुझको एहसास का ऐसा घर चाहिए. ज़िंदगी चाहिए मुझको मानी भरी चाहे कितनी भी हो मुख़्तसर चाहिए. लाख उसको अमल में न लाऊँ कभी शानो-शौकत का सामाँ मगर चाहिए. जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े तो कहीं एक तो चश्मेतर चाहिए.
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