Posted by: Nepal ko chora January 10, 2007
* चौतारी - ४१ *
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रुठ न जाना हम से आप रात भर हम सो न सकेंगे, चाद और तारे को आप का तोहफा समझकर हम रात भर बस गिन्ते हि रहेंगे ।। अब त माफ गरि दिने हो कि? :-)
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