Posted by: hetterika!! January 10, 2007
* चौतारी - ४१ *
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यो ठूल्दाइको चिलिमले त मलाई नि जगजित को गजल को आसपास पुरायो त होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है इश्क किजे फिर समझिये जिन्दगि क्या चीज है होश वालों को खबर क्य.... उन्से नजरें क्या मिली रोशन फिजायें हो ग्इ आज जाना प्यार कि जादुगरी क्या चीज है इश्क किजे फिर समझिये.... खुल्ती जुल्फों ने सिखायी मौसमों को शायरी झुक्ति आँखों ने बताया मैकशी क्या चीज है इश्क किजे फिर समझिये.... हम लबों से केह न पाये उन्से हाल-ए-दिल कभी और वोह सम्झे नहिं येह खामोशी क्या चीज है इश्क किजे फिर समझिये....
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