Posted by: Nepal ko chora December 19, 2006
-- चौतारी ३८ --..
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ल ल जाओस जाओस...एउटा टुक्रा मेरो पनि.. आखोन कि जुबान वो समझ नही पाते, होठ मगर कुछ केह नही पाते, अप्नि बेबसि किस तरह कहे हम, कोइ है जिस्के बिन हम रेह नहि पाते।
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